दोस्तों, आज विश्व मातृ दिवस है। यह दिन शायद सभी को पता होगा, इसलिए इसे बताने की आवश्यकता नहीं। पर मेरा यह लेख मातृ दिवस के वास्तविक महत्व और उससे जुड़ी हमारी जिम्मेदारियों पर है।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया (फेसबुक, व्हाट्सऐप आदि) पर देख रहा हूं कि कई लोग मातृ प्रेम का दिखावा कर रहे हैं। ये लोग बरसाती कीड़ों की तरह सक्रिय हो गए हैं। (मैं यह नहीं कह रहा कि सभी एक जैसे हैं। इसमें कुछ भावुक और सच्चे लोग भी हैं, जिनका यहां अपमान करना अनुचित होगा।)
दिखावे का यह मातृ प्रेम इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रदर्शित किया जा रहा है कि उसकी कोई सीमा नहीं। पर हकीकत क्या है? यह केवल वे लोग ही जानते हैं। मेरा तो बस एक अनुमान है:
अगर इस दिन दिखावे के लिए ही सही, लोग अपनी माँ को वृद्धाश्रम से घर लाने लगें, तो शायद 95% वृद्धाश्रम खाली हो जाएंगे।
इससे आप समझ ही गए होंगे कि मैं क्या कहना चाहता हूं।
मैं सभी से यही कहना चाहूंगा कि आपकी माँ ने आपके प्रति प्रेम करने में कभी छल या कपट नहीं किया होगा। और न ही कोई माँ ऐसा करती है। तो फिर आप क्यों उसकी ममता और प्रेम के साथ छल करते हैं? क्यों उसका दिखावा करके मातृ प्रेम की सच्चाई को आहत करते हैं?
मेरी आपसे विनती है कि अपनी माँ को उसका सम्मान और हक, यानी बच्चों का निःस्वार्थ प्रेम, लौटाएं।
और अब कुछ बात उन लोगों के लिए, जो लड़कियों के नाम से फर्जी खाते बनाकर मातृ प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं।
भाई, पहले जाओ और अपनी माँ से सीखो कि नारी जाति का सम्मान कैसे करना है। अपनी माँ का आदर करना सीखो। उसके बाद मातृ प्रेम का प्रदर्शन करो। दिखावा करना आसान है, पर सच्चाई से जीना माँ का सच्चा सम्मान करना है।
ऋषि की कलम से।