मैं चिराग

​जिस राह पर हर बार मुझे अपना कोई छलता रहा !!

फिर भी ना जाने क्यूँ मै उस राह ही चलता रहा !!

सोचा था बहुत इस बार रोशनी नहीं—धुआँ दूँगा !!

लेकिन चिराग था—फ़ितरत से

जलता रहा—जलता रहा !!!!

Rk ki kalam se

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