“सुनो, आज चॉकलेट डे है। बहुत उम्मीद थी कि हमारा रिश्ता भी चॉकलेट की तरह मीठा होता। ऐसा नहीं था कि हमारे रिश्ते में मिठास नहीं थी। मिठास थी, तो बहुत। मुझे आज भी याद है, तुम बिना पूछे जींस टॉप भी नहीं पहनती थीं। हर नया कपड़ा पहनने से पहले मेरी राय जरूर पूछती थीं। तुम्हारी आँखों में वो चमक देखकर लगता था कि मैं दुनिया का सबसे खास इंसान हूँ।
“बाबू, आज मैं मार्केट गई थी, बस एक बिस्कुट का पैकेट लाई, सॉरी बाबू मैंने अकेले ही का लिया। तुम्हें पूछा भी नहीं” और एक सैड वाला स्माइली फेस भेज देती थीं। और जब हम रात में फोन पर बात करते थे ना, तो लगता था कि सारी दुनिया सिर्फ हम दोनों ही हैं। तुम्हारी आवाज सुनकर मेरी रूह थिरक उठती थी। हर शब्द मेरी जिंदगी में एक नई उम्मीद जगाता था। जैसे बंद कमरे में ही मैं खुले आसमान के नीचे लेटा हुआ हूँ। तारे अपना पूरा जोर लगाकर टिमटिमा रहे हों, बड़ा सा चाँद निकला हो। और बहुत हलकी-हलकी ओस की तरह फुहार पड़ रही हो, हवा में भींगी-भींगी खुशबू आ रही हो और तुम मेरे राइट हैंड को पिलो बनाकर मेरा हाथ कस कर पकड़े हो और तुम मेरे कान में धीमे-धीमे फुसफुसा रही हो। ऐसे ही कई पल हैं, जिन्हें मैं आज भी नहीं भुला।”
मेरे पूरे दिन कान एक ही शब्द गूँजता रहता था, वो मीठी आवाज में, “बाबू”। इससे ज्यादा मीठा क्या हो सकता है? और तुम्हारा वो पल-पल मेरी केअर करना। बात-बात पर समझाना और “बाबू ने खाना खाया या नहीं”, “इतना गुस्सा मत किया करो” ये आम वाक्य थे। आज भी अगर कोई ये वाक्य बोल दे ना, तो ये लगता जैसे तुम ही पूछ रही थीं।
कहते हैं, जहाँ मीठा ज्यादा होता है ना, वहाँ खटास भी ज्यादा होती है। और फिर क्या, उस ऊपर वाले की भी साजिश थी। फिर कौन रोक सकता था तुम्हें मुझे तोड़ने और मरोड़ने से?
मैं भी बहुत मक्कार किस्म का था। बात-बात पर ऊपर वाले से दुश्मनी मोल ले लेता था। मैं कहता था, “मुझे ऊपर वाला भी नहीं बदल सकता लगता, ये सब ऊपर वाले की ही साजिश थी। कि तुम्हें मुझसे मिलाया और तुम भी ऊपर वाले की साजिश में हिस्सा लिया। तुमने भी उसकी दी हुई भूमिका को भी खूब अच्छे से निभाया। एक बार तोड़ा, दो बार तोड़ा, बार-बार तोड़ा। मुझे उसका गम नहीं था। तुम्हें शायद याद न हो लेकिन मुझे याद है। आज ठीक एक साल पहले 14 फरवरी की डेट थी, जब तुम्हारे दूसरे प्रेमी के बारे में पता लगा। मैं सुनता या कोई मुझसे बोलता कि तुम्हारा कोई और भी प्रेमी है, मैं 1% भी भरोसा नहीं होता। लेकिन तुम उस दिन उसके साथ थी, उसके कमरे पे और हाँ, उसने तुम्हारे नंबर से फोटो भी भेजी थी, जिसे देख कर मैं टूट ही गया था। उस पल जो बीता था, मुझ पे वो आज भी याद है। ज्यादा मैं नहीं बता सकता लेकिन उस दिन महसूस हुआ जैसे ये दुनिया खत्म सी हो गई है।”
खैर, जो हुआ सो हुआ। मेरी चॉकलेट डे की शुभकामनाएं तो लेती जाओ। उम्मीद से ही उम्मीद टूटी, दुनियाँ से क्या उम्मीद करूँ? उम्मीद से ही दुनिया चलती, फिर क्या उम्मीद करूँ?
एक टूटा हुआ आशिक
ये सब एक कल्पना मात्र है। हकीकत से दूर-दूर तक कोई बस्ता नहीं है।
#ऋषि की कलम से
