ऋषि की कलम से: कठोर संकल्प

आज मैं अपना अनुभव लिख रहा हूं। सच कहूं, लिखने का मन नहीं था, लेकिन कुछ कहना ज़रूरी लगा। क्यों लिख रहा हूं? शायद इसलिए कि मैं किसी को कुछ अच्छा दे सकूं, या शायद उन विरोधियों के विचारों को बदलने की कोशिश कर सकूं।

पहले मैंने सिर्फ सुना और पढ़ा था कि सही रास्तों पर चलने वालों के लिए कांटे ही कांटे होते हैं। लेकिन अब मैं यह खुद महसूस कर रहा हूं। जब आप सही काम करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे पूरी दुनिया आपके खिलाफ खड़ी हो गई हो। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।

फिर भी, मुझे खुशी है कि मुझे यह अनुभव मिला। चाहे लोगों की नज़र में मैं हीरो की छवि बनाऊं या विलेन की, कम से कम मेरे पास एक पहचान तो है। और सच कहूं, मुझे लगता है कि विरोध करने वाले लोग कहीं न कहीं मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे तंबाकू के पैकेट पर लिखा हो, “तंबाकू सेहत के लिए हानिकारक है।” यह चेतावनी लोगों को तंबाकू छोड़ने की बजाय इसे चैलेंज की तरह लेने पर मजबूर कर देती है। इंसान को चुनौतियां पसंद होती हैं, चाहे वो मौत से ही क्यों न जुड़ी हों।

मैंने भी अपने विरोध को एक चुनौती के रूप में लिया है। मैंने एक कठोर संकल्प किया है कि मैं अपने लक्ष्य पर डटा रहूंगा। भगवान से प्रार्थना है कि मुझे इस संकल्प पर टिके रहने की शक्ति दें।

जो लोग मेरा विरोध करते हैं, उनसे भी मैं यही कहना चाहता हूं: ऐसे ही मेरा विरोध करते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोध मुझे और मजबूत बना रहा है। मुझे इस बात का कोई दुख नहीं कि लोग अच्छाई को बुराई मानते हैं। मुझे पता है, उनमें अच्छाई देखने की दृष्टि ही नहीं है।

ऐसे लोग उलटी सोच के होते हैं। एक तरफ कहेंगे कि यह गलत है, और दूसरी तरफ उसी के पीछे भागते हैं। यह उनकी सोच का दोगलापन है।

लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं जानता हूं कि सही रास्ता कठिन होता है। और हर कठिनाई मुझे बेहतर और मजबूत बना रही है।

ऋषि की कलम से

#नकल_विरोधी_विचार

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