मनोवैज्ञानिक फिलिप जिम्बार्डो की ब्रोकन विंडो थ्योरी आज के सोशल मीडिया पर हो रही लागू।

ब्रोकन विंडो थ्योरी सोशल मीडिया पर होने वाली कई समस्याओं को समझने में मदद करती है। अगर हम सोशल मीडिया पर छोटी-छोटी अव्यवस्थाओं को रोकने के लिए कदम नहीं उठाते हैं, तो यह बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है।

ब्रोकन विंडो थ्योरी को सोशल मीडिया के संदर्भ में बड़ी प्रभावी ढंग से समझा जा सकता है। यह सिद्धांत बताता है कि छोटी-छोटी अव्यवस्थाएं बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। सोशल मीडिया पर, ये छोटी अव्यवस्थाएं हो सकती हैं:

  •   नकारात्मक टिप्पणियां: जब कोई व्यक्ति किसी पोस्ट पर नकारात्मक टिप्पणी करता है, तो यह दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  •   झूठी खबरें: जब झूठी खबरें तेजी से फैलती हैं, तो यह लोगों के बीच अविश्वास और भ्रम पैदा करती है।
  •   असभ्य व्यवहार: सोशल मीडिया पर अक्सर लोग एक-दूसरे के साथ असभ्य व्यवहार करते हैं, जो एक विषैले माहौल को बढ़ावा देता है।
  • ये छोटी-छोटी अव्यवस्थाएं कैसे बड़ी समस्याएं बनती हैं:
  •   ध्रुवीकरण: नकारात्मक टिप्पणियां और झूठी खबरें लोगों को ध्रुवीकृत कर सकती हैं, जिससे समाज में विभाजन बढ़ता है।
  •   हिंसा: सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले भाषण और झूठी खबरें वास्तविक दुनिया में हिंसा को भड़का सकती हैं।
  •   मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: सोशल मीडिया पर लगातार नकारात्मकता और ट्रोल्स का सामना करना लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • सोशल मीडिया पर ब्रोकन विंडो थ्योरी को रोकने के उपाय:
  •   नकारात्मक टिप्पणियों को हटाना: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नकारात्मक टिप्पणियों को हटाने के लिए अधिक सक्रिय होना चाहिए।
  • झूठी खबरों को फैलने से रोकना: सोशल मीडिया कंपनियों को झूठी खबरों को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।
  •   सकारात्मक सामग्री को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया पर सकारात्मक सामग्री को बढ़ावा देना चाहिए ताकि नकारात्मकता का मुकाबला किया जा सके।
  • डिजिटल साक्षरता बढ़ाना: लोगों को डिजिटल साक्षरता के बारे में शिक्षित करना चाहिए ताकि वे झूठी खबरों और हेरफेर को पहचान सकें।

ऋषी की कलम से……

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