मेरे परिवार के प्रियजन(मेरे परिवार का तात्पर्य पूरे देश के नागरिको से है।) हकीकत में हमें पढ़ाये जाने वाला इतिहास, और प्रत्यक्ष प्रमाण और इतिहास के महान लेखकों के लिखे लेखों के बीच हम सभी को अंतर करना कितना कठिन हो चुका है। और ऐसे में एक बच्चे के शब्दों ने मुझे हिला ही दिया।
मैं एक दस साल के मासूम बच्चे से बात कर रहा था। मैंने पूछा बेटा क्या बनना है। वो तपाक से बोलता बहुत बड़ा वैज्ञानिक बनना है। हालांकि मैं हिंदी में लिख रहा हूँ। वो इंग्लिश शब्दों का इस्तेमाल कर रहा था। बच्चा मासूम था इसलिए मैंने उससे और बात करने की इच्छा से पूछा वैज्ञानिक ही क्यू बनना कुछ और क्यू नहीं। वो बोला मुझे टाइममशीन बनाना है। मैं चौका इतने छोटे बच्चे के दिमाग में टाइममशीन बनाने का विचार! मैने पूछा क्यू ! बच्चा बोला “हमें अपना इतिहास देखना है। क्युकि लोग कहते कुछ हैं। और किताबो में लिखा कुछ है।”
मैं उसकी बात सुन कर मैं शान्त हो गया। क्युकि मैं खुद अपने इतिहास को लेकर गुमराह हूँ। तो मैं उसे क्या समझाऊँ कि हमारा इतिहास क्या है। मुझे तो यही लगता है। हमारे कुछ बुद्धजीवों ने अपने फायदे के लिए इतना तोड़ मरोड़ दिया की सत्य और असत्य का पता भी नहीं लगता। क्या ये देश तुंम्हारा नहीं। क्या जो अपने फायदे के लिए देश के इतिहास से खेल गए। या मैं तुम्हे देश द्रोही के नाम से जानू। ख़ैर इस नाम में कोई बुराई नहीं। मुझे नहीं पता क्या है मुग़ल और ब्रिटिश शासन के बाद तुंम्हारे विचार। चलो आज नहीं तो कल कोई न कोई आयेगा तुम्हे भी बदनाम करेगा देश के इतिहास में। लेकिन मैं उस बच्चे को उसे उसके इस काम के लिए भविष्य में सफल होने का आशीर्वाद भी नहीं दे सकता। क्युकि अगर ऐसा होता है। तो जाने कितने देश के नागरिको ठेश पहुँचेगी। जिन्हें वो नायक समझते थे वो ही खलनायक निकले। लेकिन मैं उसके बेहतर भविष्य की कामना करता हूँ।
#ऋषी_की_कलम_से
